रात मे नीद न आना

 रात को नींद न आए तो क्या करें? यह सवाल सभी के जीवन में कभी न कभी आता है। चाहे काम की चिंता हो, या कोई और परेशानी - नींद न आने के अलग अलग कारण होते हैं। तो जानते हैं कि रात को नींद न आए तो क्या करना चाहिए।.

जीवन के किसी न किसी पड़ाव पर बहुत से लोग अनिद्रा का अनुभव करते हैं। क्या कारण हैं अनिद्रा के? क्या कर सकते हैं अच्छी नींद के लिए?

 

प्रश्न: सद्‌गुरु, क्या आप अनिद्रा यानी नींद न आने की समस्या के बारे में कुछ बता सकते हैं? मैं लगभग पिछले छह सालों से नींद न आने की समस्या से जूझ रहा हूं। क्या आप मुझे इसके लिए कुछ कारगर निर्देश दे सकते हैं?

 सद्‌गुरुसद्‌गुरु: अनिद्रा कई कारणों से होती है। दुनिया में ऐसे बहुत से लोग हैं, जो अच्छी तरह से सोते हैं, लेकिन उन्हें यह पता ही नहीं होता कि वे अच्छी तरह सो रहे हैं। कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो इसलिए ठीक से सो नहीं पाते, क्योंकि उनके शरीर को एक रात मे नीद न आना खास मात्रा में आराम की जरूरत होती है, जबकि उन्हें लगता है कि उन्हें और ज्यादा आराम की जरुरत है, इसलिए वे और सोना चाहते हैं। मैं ऐसे कई लोगों से मिला हूं, जो बिल्कुल ठीक हैं, लेकिन उन्हें लगता है कि वे पर्याप्त मात्रा में नींद नहीं ले रहे। उन्हें लगता है कि वे आठ घंटे की नींद नहीं ले रहे, वे तो सिर्फ  चार घंटे की नींद ले रहे हैं जबकि डॉक्टर तो बताते हैं कि आठ घंटे की नींद लेनी चाहिए। वैसे लोग बिल्कुल ठीक हैं, सेहतमंद हैं।

 

अगर आप बिल्कुल ठीक हैं, आप अनिद्रा से पीडि़त नहीं हैं और रोजाना तीन से चार घंटे रोज सोते हैं तो यह बिल्कुल ठीक है। बल्कि यह तो एक उत्तम स्थिति है। वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो अपनी मानसिक परिस्थितियों के चलते सो नहीं पाते। कुछ लोग अपनी कोशिकीय वजहों अथवा जेनेटिक यानी वंशानुगत तकलीफ ों की वजह से सो नहीं पाते। अगर आपके साथ भी ऐसी स्थिति है तो उसे ठीक करना थोड़ा मुश्किल है। हालांकि आपकी स्थिति ऐसी नहीं है। आप वंशानुगत रूप से उस स्थिति में नहीं हैं। हां अगर शरीर की कोशिकाओं के स्तर पर समस्या है तो आपके शरीर की कोशिकाएं आपको ठीक से सोने नहीं देंगी।

 

शीर्ष ग्रंथि से जो स्राव होता है, उसे अपने यहां आमतौर पर अमृत या सुधा कहते हैं। अगर यह स्राव बढ़ जाए और अमृत बहने लगे तो सबसे पहले हमारी नींद आश्चर्यजनक ढंग से कम हो जाएगी,

इसके कई कारण हैं, जिसकी वजह से आप सो नहीं पाएंगे। मुझे लगता है कि तब आपको हमारे आश्रम के बगीचे की देखभाल में जुड़ जाना चाहिए। जब आप बाहर बगीचे में पूरे दिन लगभग दस घंटे काम करेंगे तो आप अपने आप सो जाएंगे। अगर यह तरीका भी काम नहीं करता तो इसका आसान सा उपाय है कि आपको शून्य ध्यान में दीक्षित हो जाना चाहिए। शांभवी भी आप पर काम करेगी। ज्यादातर लोगों के मामले में शांभवी ने काम किया है। अगर आप शून्य साधना में दीक्षित हो चुके हैं और उसका अभ्यास करते हैं तो आप देखेंगे कि आपकी नींद संबंधी जितनी भी अनियमिताएं हैं, वे ठीक होने लगेंगी। आप तो फिलहाल काफी ठीक और खुश लग रहे हैं। अगर आप बिना सोए खुश हैं तो यह बड़ी अच्छी बात है। दरअसल, नींद भी अपने आप में एक तरह की मौत है। रोजाना लोग छह घंटे या आठ घंटे या चार घंटे के लिए मरते हैं। आप क्या पसंद करेंगे? रोजाना कम मरना या ज्यादा मरना?

 

सद्‌गुरु: कम मरना अच्छा है। दरअसल, नींद एक तरह से हमारे सिस्टम के हिस्सों में चिकनाई लाने का या कहें कि मरम्मत का एक जरिया है। नींद पर्याप्त न होने का मतलब है कि आपके भीतर सब कुछ घर्षण से घिस रहा है। अगर ऐसी घिसावट वाली स्थिति बन रही है तो इसका मतलब है कि हमें कुछ चीजें करनी होंगी। पहली बात तो यह कि आश्रम में चंद्रकुंड है, जिसमें आप रोजाना 15 से 20 मिनट रह सकते हैं। आप देंखेंगे कि शरीर का तापमान अपने आप नीचे आ जाएगा। यह जल अपने आप में एक अच्छी चिकनाई का जरिया है, आप पाएंगे कि इसमें स्नान करने से आपके शरीर और मन के घर्षण वाली स्थिति में काफी सुधार हुआ है। अगर यह चीज चली गई तो फि र आप कितना सोते हैं, यह कोई मुद्दा ही नहीं रह जाएगा।

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